।। ॐ सेनापतये नमः ।।
हमारे स्वभाव की दो आदतें या प्रकृत्ति समाज में हमारी स्वीकार्यता का स्तर सर्वोच्च पायदान पर स्थापित करती हैं। प्रथम हम इस तरह बोले कि सभी हमे दिल से सुनना पसन्द करें और द्वितीय दूसरों को हम इस तरह से सुने कि सभी अपने मौलिक विचार हमसे पूर्ण विश्वास के साथ साझा कर सके।
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