दिनाँक 05 - 04 - 2022
।। ॐ घर्षणात्मने नमः ।।
आस्तिकता की पूर्णता तभी परिभाषित होती है जब हम यह समझने लगे हमे जो मिला है वह हमारी आवश्यकतानुसार प्रभु की इच्छा के कारण प्राप्त हुआ है तथा जो हमे हमारी इच्छा अनुरूप प्राप्त नही हुआ है वह भी प्रभु ने हमारे हित के कारण हमें नहीं दिया।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो। भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे। जय शंकर जी की ।
प्रभु यही एक वृत्ति मेरी बन जाए तो यह बूंद वापिस उस सागर में समा जाए। अभी तो भटक रही है यह बूंद।
जवाब देंहटाएं