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वास्तविकता

 दिनाँक 19 - 04 - 2022

   ।। ॐ  न्यग्रोधरूपाय   नमः ।। 

दार्शनिक वक्तव्य " जो आदमी जमीन पर बैठते हैं उन्हें गिरने का डर नहीं होता " का गुढ़ व सुक्ष्म अर्थ है कि जो व्यक्ति अपनी योग्यता, कुशलता और अपने साधनों की सूक्ष्म व व्यापक सीमा की वास्तविकता को जानते हैं वे किसी भी प्रकार की बेचैनी या अनचाहे डर के बिना जीवन का सम्पूर्ण आनन्द सहज रूप से उठाते है। 

शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो।  भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे।  जय शंकर जी की ।

टिप्पणियाँ

  1. यही बात दूसरे शब्दों में ऐसे कही जा सकती है। ईश्वर को मिलने के मार्ग है योग, ज्ञान और भक्ति मार्ग।

    योगी को कभी अहंकार आ सकता है और वह गिर जाएगा। उसी तरह ज्ञान मार्ग में भी गिरने के चांस हैं। लेकिन भक्त तो पहले ही गिरा हुआ है। इसलिए भक्ति मार्ग में गिरने का कोई डर नहीं है।

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