दिनाँक 23 - 05 - 2022
।। ॐ जटिने नमः ।।
सम्पन्नता और उसके प्रभाव को हम दो प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं प्रथम भौतिक व धन की सम्पन्नता अहंकार को जन्म देती है जो कुछ समय अन्तराल बाद व्यक्त्ति के नाश का कारण बनता है इसके विपरीत मन-मस्तिष्क में सात्विक विचारों की सम्पन्नता संस्कार को जन्म देती है जो व्यक्त्ति के चरित्र को पीढ़ी दर पीढ़ी समाज के लिये अनुकरणीय बना देती है।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो। भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे। जय शंकर जी की ।
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