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मनुष्य की मानसिकता

 दिनाँक  03  - 06 - 2022

 ।। ॐ  गुणबुद्धये  नमः ।। 

 प्रत्येक मनुष्य जीवन पर्यन्त लगातार निश्चित समय अन्तराल के बाद  नई नई जिम्मेदारियों और समस्याओं के चक्र में अपने आप को उनका निष्पादन या हल करने में अपने अन्तहीन प्रयासों में व्यस्त रखना ही उसकी अपनी विश्वशता या मजबूरी होती है । ये मनुष्य की अपनी स्वयम की  मानसिकता  पर ही  निर्भर करता है इसे वह बोझ समझे या इसका पूर्ण आनन्द लें । 

शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो।  भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे।  जय शंकर जी की ।

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