दिनाँक 04 - 06 - 2022
।। ॐ लयाय नमः ।।
मित्र व मित्रता को दार्शनिक नजरिये से इसे इसके विशुद्ध रूप मे इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि इसका मिलना कठिन है, इसको छोड़ना मुश्किल है और भूलना तो असम्भव ही है ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो। भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे। जय शंकर जी की ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें