दिनाँक 21 - 06 - 2022
।। ॐ गुहाय नमः ।।
जीवन की मधुरता व प्रसन्नता के सम्पूर्ण दायरे के विषम चक्र को पूर्ण रूप से एक विरोधिभाषी व दार्शनिक कथन से भी हम समझ सकते हैं कि अपने अन्दर खुशी ढूंढना आसान नही है तथा कहीं ओर से इसे ढूंढना पाना सम्भव नहीं है
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो। भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे। जय शंकर जी की ।
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