दिनाँक 01 - 10 - 2022
।। ॐ गवाम्पतये नमः ।।
उदग्विन, अवसाद, खिन्न और निराशापूर्ण जीवन को मधुर, रुचिपूर्ण, मनोहर, सौम्य , सरल और ऊर्जावान जीवन मे बदलने का एक ही मूल-मन्त्र है कि जब भी प्रतिकुल परिस्थितियों का बदलना असम्भव हो तो हम स्वयम अपने अन्तर्मन की स्थिति को ही बदलें तथा नए परिवेश को यथास्थिति में ही स्वीकारें ।
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