दिनाँक 03 - 10 - 2022
।। ॐ विष्कम्भिने नमः ।।
जीवन की मिठास, सौम्यता व माधुर्यता का शत-प्रतिशत आनन्द लेना है तो हमारे पास इतनी शक्त्ति, सामर्थ्य या कूबत होनी चाहिये कि हम विगत की कड़वी, बुरी व प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने ह्रदय, मन-मष्तिषक व आचार-व्यवहार में लेश मात्र जगह ना दें और वर्तमान को उसके यथास्वरूप में स्वीकार कर सकें।
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