दिनाँक 11 - 12 - 2022
।। ॐ बहुप्रसादाय नमः ।।
आवश्यकता से अधिक किसी की भी अधिकता मनुष्य के लिये विष या जहर के समान होती है जो उसके स्वंय के सर्वनाश का कारण बनती है फिर चाहे वो शक्त्ति, आलस्य, भोजन, गर्व, इच्छा, घमण्ड, डर, क्रोध या अन्य कुछ भी हो ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
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