दिनाँक 04 - 12 - 2022
।। ॐ शक्राय नमः ।।
जब मनुष्य नयी पद्वति से किसी कार्य के विधि-विधान या प्रतिरूप को निर्मित करता है तब ही वर्तमान प्रारूप अप्रचलित होता है जो मनुष्य, समाज, राष्ट्र व विश्व की उन्नति, प्रगति व उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
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