दिनाँक 17 - 02 - 2024
।। ॐ विर्कुवणाय नमः ।।
शक्त्ति
मानवीय शक्त्ति का तात्पर्य मनुष्य के शारीरिक सौष्ठव व मानसिक दृढ़ता के उच्च स्तर से नही होता है बल्कि मनुष्य का अपनी कमजोरी पर विजय प्राप्त करने की जीवटता और संघर्ष के सतत् प्रयास को जीवित रखने की मजबूती से होता है।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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