दिनाँक 20 - 02 - 2024
।। ॐ वज्रिणे नमः ।।
गृहस्थ
गृहस्थ जीवन की सार्थकता व उसका स्तर सन्यासी जीवन से बेहतर व पवित्र होता है क्योंकि एंकात मे रहकर सन्यासी जीवन सहजता से जिया व नियन्त्रित किया जा सकता है परन्तु मानव जीवन की सबसे बड़ी सुन्दरता गृहस्थ के उत्तरदायित्वों को सफलता से निभाना संन्यासी जीवन से ज्यादा कठिन व बेहतर होता है ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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