दिनाँक 07 - 04 - 2024
।। ॐ सुमहास्वनाय नमः ।।
गृहस्थ
गृहस्थ जीवन मे स्त्री और पुरुष एक दुसरे पूरक या एक दुसरे पर आश्रित अभिन्न अंग होते है परन्तु उनके जीवन जीने की शैली की अवधारणा एक दुसरे के विपरीत होती है। स्त्री पूर्ण आत्मसमर्पण व पुरूष संघर्षमय जीवन यापन कर गृहस्थ के वातावरण को ऊर्जावान बनाये रखते है ।
सुप्रभात🙏🌹
आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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