दिनाँक 19 - 09- 2024
।। ॐ महायशसे नमः ।।
प्रसंशा व आलोचना
प्रसंशा मे छुपी असत्य की गहराई और आलोचना मे छुपी स्वयम मे सुधार करने की गम्भीरता को जब मनुष्य समझ लेता है तब उसे अच्छे-बुरे के ज्ञान होने के साथ-साथ उसके व्यक्त्तित्व मे सुधार और उसकी सफलता का मार्ग भी स्वतः ही सरल हो जाता है ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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