दिनाँक 26 - 09- 2024
।। ॐ नमः ।।
सम्भव
जब मनुष्य अकर्मण्यता के बोध से ग्रसित हो जाता है तब वह असम्भव शब्द की अवधारणा को स्वयम ही परिभाषित व चरितार्थ करता है। इसके विपरीत, मनुष्य के सार्थक प्रयासों की श्रृखंला या निरन्तरता ही सम्भव शब्द के विचार को स्थापित करती है ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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