दिनाँक 16 - 10 - 2024
।। ॐ ग्रहाय नमः ।।
निःस्वार्थ
हमारे निःस्वार्थ प्रेम की परिभाषा सफलतापूर्वक तभी चरितार्थ होती है जब हम अपने हितैषी व बन्धु-बान्धव की चिन्ता शब्दों से नही बल्कि ह्रदय से करते है और उनसे अपना गुस्सा ह्रदय से ना करके सिर्फ शब्दों से ही व्यक्त्त करते है ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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