दिनाँक 31 - 01 - 2025
।। ॐ मृगबाणार्पणाय नमः ।।/
कला
जीवन जीने की कला मे वही व्यक्त्ति वास्तव मे निपुण या प्रवीण है जो उन सभी अनुकूल व प्रतिकूल पलों की जिसकी उसने कभी आशा या इच्छा नही की थी उनका आनन्द भी पूर्ण प्रसन्नता व सहजता से उठता है ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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