दिनाँक 05 - 06 - 2025
।। ॐ तपोमयाय नमः ।।/
निर्लिप्त भाव
राग-द्वेष छोड़कर सन्तुष्ट जीवन के लिए अपने ह्रदय मे सदा निर्लिप्त भाव को जीवित रखिए क्योंकि मनुष्य नंगे बदन अन्तहीन शुन्य से आकर अपनी हर इच्छा को पूरा करने के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष मे तो व्यस्त रहता है परन्तु अन्त मे सब कुछ छोड़कर अन्तहीन शुन्य मे जाने के लिए विवश हो जाता है ।
सुप्रभात🙏🌹
आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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