दिनाँक 02 - 07- 2025
।। ॐ सिद्धभूतार्थाय नमः ।।/
धर्म
सात्विक, सदभाव, सकारात्मक व करूणा भाव से परिपूर्ण कर्म के बिना धर्म की परिभाषा अपूर्ण है अर्थात धर्म का अस्तित्व कर्म से उत्पन्न होता है । अतः सद्कर्म के बिना धर्म की कोई परिभाषा नही है । यही धर्म का आध्यात्मिक व दार्शनिक पहलू है ।
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।
आदर सहित
रजनीश पाण्डेय
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