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विडम्बना



दिनाँक   31- 07 - 2025

   ।। ॐ सर्वस्मै नमः ।। 10

विडम्बना

यह मनुष्य के स्वभाव की सबसे बड़ी विडम्बना है कि वह झूठी तारीफ व प्रशंसा सुनकर बर्बाद होना पसन्द करता है जबकि सच्ची आलोचना सुनकर वह सम्भलना या अपने आप मे आवश्यक सुधार करना पसन्द नहीं करता है ।
 
शुभ प्रभात । आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की ।

आदर सहित 
रजनीश पाण्डेय

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