दिनाँक 01 - 07 - 2024 ।। ॐ तपोमयाय नमः ।। निर्लिप्त भाव मनुष्य नंगे बदन अन्तहीन शुन्य से आकर अपनी हर इच्छा को पूरा करने के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष मे व्यस्त रहता है। अन्त मे सबकुछ छोड़कर अन्तहीन शुन्य मे जाने के लिए विवश हो जाता है । अतः राग-द्वेष छोड़कर सन्तुष्ट जीवन के लिए निर्लिप्त भाव को जीवित रखिए । सुप्रभात🙏🌹 आज का दिन शुभ व मङ्गलमय हो । भगवान शंकर जी की सदा आप पर कृपा बनी रहे । जय शंकर जी की । आदर सहित रजनीश पाण्डेय